मनुष्य जैसा कर्म करता है, वैसा फल भोगता है

मनुष्य जैसा कर्म करता है, वैसा फल भोगता है

मनुष्य जैसा कर्म करता है, वैसा फल भोगता हैकोई किसी को सुख या दुख नहीं देता, सभी अपने कर्मों का फल भोगते हैं। मनुष्य जैसा कर्म करता है, उसी के अनुरूप फल भोगता...

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